Sadhana Shahi

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विश्वास की डोर कविता ( प्रतियोगिता हेतु) -03-May-2024

प्रदत्त विषय- विश्वास प्रकरण-विश्वास की डोर प्रतियोगिता हेतु

विश्वास है छोटा शब्द नहीं, इस पर ही सारे रिश्ते टीके। किसी क़ीमत पर यदि यह टूटे, तो सारे रिश्ते लगे फीके।

इससे ही प्यार- दुलार जुड़ा, इससे ही मिलता मान- सम्मान। इसको जिसने भी तोड़ दिया, वो गहता है सदा ही अपमान।

इससे ही माँ की ममता मिले, आशीष का हाथ मिले इससे। मांँ का विश्वास जो तोड़ दिया, रुंँधा अंतर्मन वो कहे किससे।

वह बच्चा जो थोड़ा निर्बल था, वो क्यों नहीं माँ को प्यारा था। उसको मांँ पर विश्वास बहुत, पर मांँ को वो सदा खारा था।

रिश्ता चाहे कोई सा हो, विश्वास की डोर न टूटे कभी। जीवन सुरमई सपनों सा हो, इस डोर की छोर न लूटे तभी।

साधना शाही, वाराणसी

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1 Comments

Varsha_Upadhyay

04-May-2024 01:26 PM

Nice

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